Wednesday, April 18, 2012

सैफई में दहाड़ेंगे गिर के सिंह!

Last updated - Wed, Apr 18, 2012
अहमदाबाद। एशियाई सिंहों की दहाड़ उत्तर प्रदेश(यूपी) के सैफई में भी सुनाई देने के संकेत हैं। वैसे, एशियाई सिंहों की एकमात्र शरणगाह गिर से गुजरात उत्तरप्रदेश को सिंह देगा या नहीं यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। हाल ही में सिंहों को मध्यप्रदेश के कुनो अभयारण्य भेजे जाने के प्रस्ताव को गुजरात सरकार सख्ती से खारिज कर चुकी है।

मामला यह है कि हालिया विधानसभा चुनावों में मुलायम सिंह की पार्टी सपा के शानदार ढंग से जीतने के बाद सैफई लॉयन सफारी परियोजना की फाइलों से फिर से धूल झाड़ी जा रही है। वर्ष 2005 की यह परियोजना को एसपी सुप्रीमो को खासी पसंद थी, लेकिन सत्ता के साथ ही ठंडे बस्ते में चली गई थी।

हाल ही में उत्तर प्रदेश के वन विभाग ने इस परियोजना पर नए जोशखरोश के साथ काम शुरू किया है। एस.के गोयल -प्रधान मुख्य संरक्षक वन व एवं वन्य प्राणी गुजरात का कहना है कि फिलहाल उनकी जानकारी में सिंहों को उत्तर प्रदेश भेजने का सरकारी स्तर पर कोई प्रस्ताव नहीं है।

एशियाटिक लॉयन प्रोटेक्शन सोसायटी के संस्थापक अध्यक्षकमलेश अढिया का कहना है कि उन्हें संदेह है कि इस परियोजना के लिए उत्तरप्रदेश को गिर के सिंह मिल जाएंगे। हाल ही मध्यप्रदेश को साफ इनकार कर गुजरात ने सिंहों को गुजरात से बाहर भेजने पर अपना रूख साफ कर दिया है। यह जरूर है कि सैफई लॉयन प्रोजेक्ट के साथ सिंह प्रजनन संवद्र्धन को जोड़ा गया है, लेकिन ध्यान रखना चाहिए उत्तरप्रदेश के चंद्रप्रभा में गुजरात का अनुभव कड़वा रहा है।

अढिया के अनुसार जहां तक गिर से अन्यत्र सिंह प्रजनन का सवाल है तो अभी हाल ही में गिर अभ्यारण्य से छह नर मादा शेर वांकानेर के निकट स्थित रामपुरा बिरडी अभ्यारण्य में स्थानान्तरित किए गए हैं।

अनुकूल माहौल मिलने से तीन बच्चों को जन्म भी दिया गया है। अब शीघ्र ही राजकोट जिले के बरड़ा में भी लॉयन सफारी की तैयारी है। वहां चार जोड़ी सिंह गिर से जाने हैं। ऎसे में सिंहों को राज्य से बाहर भेजना आसानी से गले नहीं उतरता है।अंतिम अधिकृत गणना के वक्त गुजरात में 411 एशियाई सिंह थे तथा इनकी संख्या में गत गणना से इजाफा हुआ था।

वैसे, उत्तर प्रदेश का वनविभाग इटावा जिले के यमुना-चम्बल नदी के मध्य क्षेत्र में सपा सुप्रीमो मुलायम के गांव सैफई के निकट 50 एकड़ में लॉयन सफारी विकसित करने की मंशा रखता है।

सेन्ट्रल जू अथोरिटी (सीजेए) से इस प्रस्ताव को आरंभिक मंजूरी मिलने के बाद फिलहाल मास्टर प्लान पर काम हो रहा है। करीब दो सौ साल साल पहले सिंह उत्तर भारत में भी मिला करते थे। ऎसे में जलवायु, तापमानव वनस्पित आदि के लिहाज से गिर की साम्यता वाले स्थान का सफारी के लिए चयन किया गया है।
Source: http://www.patrika.com/news.aspx?id=809959

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